Aigiri Nandini Mahishasura Mardini Strotam By Gitanjali Sahu
“Mahishasura Mardhini” means one who killed the Asura Mahishasura and refers to Goddess Durga. The demon was...
Kaise Karav Tor Bidai-Kantikartik Yadav (Navratri Special Bidai Song Video)
The Chhattisgarhi Durga Mahotsav is the largest surviving Durga Puja in the world. The story...
CG Jas Geet Kantikartik Yadav-360india
https://youtu.be/MwLJ3B5U0Q0
New CG Song
जंवारा विसर्जन में सैकड़ो की संख्या में इस मंदिर से ज्योति कलश को विसर्जन के लिए ले जाया...
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The Chhattisgarhi Durga Mahotsav is the largest surviving Durga Puja in the world. The story...
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जंवारा विसर्जन में सैकड़ो की संख्या में इस मंदिर से ज्योति कलश को विसर्जन के लिए ले जाया...
माँ चंडी माता मंदिर लखोली नाका राजनाँदगाँव – इस मंदिर में जंवारा विसर्जन का भव्य आयोजन प्रतिवर्ष होता है। महिलाये अपनी मन्नत के लिए जंवारा विसर्जन को जाने वाले रास्ते में पानी डालकर लेट जाती है।
Chandi Mata Mandir Jawara Visarjan 2022
Pag Pag Aarti Utarav More Maa – Jawara Visarjan 2022
CG Jas Geet Kantikartik Yadav-360india
छत्तीसगढ़ में श्रद्धालु अपने परिवार की खुशहाली के लिए घर अथवा मंदिर में ज्योत जलवाते है और जंवारा बोते है। नवरात्री पर्व में यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। जंवारा बोने के नियम काफी कठिन होते है। इस जसगीत में उन्ही नियमो को विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।
Kaise Karav Mai Dai Wo Kantikartik Yadav CG Jas Geet 2022
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Buckwheat Health Benefits in Daily Diet: व्रत के समय कई लोग कुट्टू के आटे का सेवन करना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आप कुट्टू खाने के फायदे जानते हैं. व्रत के अलावा नॉर्मल दिनों में भी कुट्टू के आटे को डाइट में शामिल करके आप ना सिर्फ डायबिटीज, डाइजेशन और दिल की बीमारियों को दूर रख सकते हैं बल्कि खुद को फिट और हेल्दी भी बना सकते हैं.
Millet in Summer: मोटा अनाज यूं तो हमेशा से पोषक तत्वों का खजाना रहा है लेकिन आजकल यह सुपरफूड माने जाने लगा है. कुछ मोटे अनाज गर्मियों में पेट को ठंडा पहुंचाता है, वहीं लाइफस्टाइल से संबंधित कई बीमारियों को बेअसर करता है.
Blood Cancer in Children: बच्चों में ब्लड कैंसर के ठीक होने की क्षमता बड़ों के मुकाबले काफी ज्यादा है. कैंसर की मिडिल स्टेज या खराब स्टेज में भी 75 से 80 फीसदी बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं और ये बीमारी उनमें वापस नहीं लौटती.
Ways to Be More Romantic in Relationship: रिश्तों की गर्माहट को बरकरार रखने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते लेकिन एक नई रिसर्च में कहा गया है कि घर के छोटे-छोटे कामों में कपल की समान भागीदारी से संबंधों में गर्मजोशी को बेहतर बनाया जा सकता है. स्वीनबर्ने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है. अध्ययन में पाया गया कि जो कपल घर […]
लिवर में जब अधिक फैट जमा हो जाता है, तो उसे फैटी लिवर कहते हैं. शराब का अधिक सेवन करने, मोटापा, खराब लाइफस्टाइल फैटी लिवर का कारण बन सकता है. डॉक्टर के बताए कुछ जरूरी बातों को फॉलो करके आप काफी हद तक इस रोग को कम कर सकते हैं या फैटी लिवर होने की संभावनाओं को कम कर सकते हैं.
Liver detox Juice damage Kidney: आजकल लिवर डिटॉक्स के नाम पर फ्रूट जूस के साथ हरी पत्तीदार सब्जियों को मिलाकर मिक्स जूस का धड़ल्ले से सेवन किया जाता है. यदि आप सुबह-सुबह ऐसा करते हैं तो सतर्क हो जाएं क्योंकि डॉक्टरों का कहना है कि इससे किडनी पर पत्थरबाजी हो सकती है.
Tasty and Healthy Vrat Recipe for Navratri: देश में जल्दी ही नवरात्रि के पर्व का आगाज होने वाला है. हालांकि, नवरात्रि पर उपवास रखने वाले बहुत लोग डाइट को लेकर कन्फ्यूज नजर आ रहे हैं. ऐसे में व्रत के दौरान कुछ चीजों (Vrat recipe) का सेवन करके आप खुद को फिट और हेल्दी रख सकते हैं. नवरात्रि में कई लोग पूरे नौ दिनों का व्रत रहते हैं. ऐसे […]
Pukhraj Bafna is an Indian pediatrician and adolescent health consultant, known for his contributions towards tribal child and adolescent health. The Government of India honored Bafna in 2011, with the fourth highest civilian award of Padma Shri.Padmshri Dr. Pukhraj Bafna-
AWARDS AND RECOGNITIONS
Pukhraj Bafna is a recipient of the National C. T. Thakkar Award of the Indian Medical Association in 1978 and the Becon International Award in 1986. He has also received the Mahaveer Mahatma Award from the Times of India group and the Academic Excellence Award from the Indian Academy of Pediatrics, both in 2004. Jain Vishva Bharati University Rajasthan and the Government of Kerala have honored Bafna with citations. In 2011, The Government of India included him in the list of Republic day honours for the award of Padma Shri.
BIOGRAPHY
Pukhraj Bafna was born on 14 November 1946 at Rajnandgaon, in the Indian state of Chhattisgarh. He graduated in medicine (MBBS) in 1969 from Netaji Subhash Chandra Bose Medical College, Jabalpur and continued his studies there to obtain the medical degrees of DCh (1972) and MD (1973) in pediatrics. He has also obtained a doctoral degree from Jain Vishva Bharati University, Ladnun.
Bafna is credited with a book, Status of Tribal Child Health in India. He has also been writing health column for over 40 years (since 1973) in Sabera Sanket, a Hindi language newspaper. He has also attended several seminars and has chaired many conferences.
Pukhraj Bafna has conducted over 500 child health camps and has supported 149 orphaned children in Bastar whose parents lost their lives due to militancy in the area. He lives in Rajnandgaon, Chhattisgarh.
The foundation of the Women’s Commandos Brigade was laid in 2006 by Shamshad Begum, an Indian activist and later Padma Shri recipient (2012). Begum, who has done extensive work for the education of backward communities in Chhattisgarh, was the catalyst in bringing together around 100 women who committed violence at their homes at the hands of drunken men. Some of them are also victims of human trafficking who, after being rescued, took it upon themselves to fight for basic human rights for members of their society. Padmshri Shamshad Begum Ji.
महिला कमांडोज ब्रिगेड की नींव 2006 में शमशाद बेगम, एक भारतीय कार्यकर्ता और बाद में पद्म श्री प्राप्तकर्ता (2012) ने रखी थी। बेगम, जिन्होंने छत्तीसगढ़ में पिछड़े समुदायों की शिक्षा के लिए व्यापक काम किया है, लगभग 100 महिलाओं को एक साथ लाने में उत्प्रेरक थीं जिन्होंने अपने घरों में शराबी पुरुषों के हाथों हिंसा की। उनमें से कुछ मानव तस्करी के शिकार भी हैं, जिन्हें बचाया जाने के बाद, अपने समाज के सदस्यों के लिए बुनियादी मानवाधिकारों के लिए लड़ने के लिए खुद पर ले लिया।
ये महिलाएं एक सरल सोच से प्रेरित हैं – अपने बच्चों को उन अत्याचारों से बचाने के लिए जिन्हें उन्हें भुगतना पड़ा। हालांकि बेगम ने इस बात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि कितने गाँवों को शराब मुक्त किया गया था, उन्होंने वादा किया कि अभियान अगले कुछ वर्षों में उत्कृष्ट परिणाम दिखाएगा। इन महिलाओं के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन जो हिंसक, गरीब परिवारों से आते हैं, उन्हें उनकी कड़ी मेहनत के लिए भुगतान करना होगा ताकि वे अपने घरों की ओर योगदान कर सकें, वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें और बेहतर जीवन स्तर की ओर बढ़ सकें। अक्सर, घरेलू शोषण का सामना करने वाली महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करना है, जिसका मतलब है कि उनके पास अक्सर कमी होती है। एक नियमित वेतन तक पहुंच होने से वास्तव में उन्हें सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।महिला कमांडो ’अभियान छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा राज्य में कानून और व्यवस्था बहाल करने के साथ-साथ भागीदारी के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के एक बड़े अभियान का हिस्सा है। यह विशेष रूप से विभिन्न गांवों से संबंधित विभिन्न महिलाओं पर निर्भर करता है जो एक साथ आते हैं और इन मुद्दों से लड़ते हैं जो उन्हें प्लेग करते हैं। साथ ही, ये महिलाएँ ज्यादातर गृहिणी होती हैं, जो पूरे दिन घर पर काम करती हैं, और बाद में गश्त और अन्य नौकरियों के लिए अपनी-अपनी टीमों में शामिल हो जाती हैं। और यह कल्याणकारी कार्य हर एक महिला को एक बड़े समुदाय और एक सहायता प्रणाली प्रदान करता है, साथ ही साथ एक अंतर बनाने की संतुष्टि भी प्रदान करता है।
Padmshri Shamshad Begum Ji
वर्ष 2012 में भारत सरकार ने महिलाओं की शिक्षा, पिछड़े वर्ग की उन्नति और अन्य सामाजिक कार्यों के लिए पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया था। बेगम कहती हैं कि महिला कमांडो में शामिल महिलाओं ने शराब की बुराईयों के कारण बहुत कुछ झेला है। अब वह चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ी इस बुराई से दूर रहे। यही कारण है कि ये महिलाएं शराब बंदी का प्रयास कर रही हैं। इसके लिए वह सभी कठिनाइयां झेल रही हैं। उन्होंने बताया कि महिला कमांडो बालोद जिले के गुंडरदेही, गुरुर और बलोद विकासखंड के लगभग तीन सौ गांवों में तथा पड़ोसी जिले दुर्ग के पाटन क्षेत्र के लगभग 150 गांवों में सक्रिय है। यह कार्य ‘सहयोगी जन कल्याण समिति’ के माध्यम से किया जा रहा है।
शमशाद बेगम ने बताया कि रोज शाम लगभग 40 महिलाओं का समूह लाठी और टार्च लेकर शराब माफियाओं के खिलाफ गश्त में निकलता है। इस दौरान महिलाएं शराब माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करती हैं और शराब पीने वालों को इसकी बुराईयों से अवगत कराती हैं। हालांकि, कई बार उन्हें गांव के सरपंच और पुलिस का सहारा लेना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘कई बार पहरा देने के दौरान महिलाओं को विपरीत परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है। महिलाएं कानून अपने हाथ में नहीं लेतीं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पुलिस की सहायता ली जाती है।’
उन्होंने कहा, ‘जिले में इन महिलाओं को एसपीओबनाने का फैसला किया गया है जिससे यह सरकार के साथ मिलकर और भी बेहतर काम कर सकें। इस परियोजना के तहत पहले एक सौ महिला कमांडो को एसपीओ बनाया गया है। इसके लिए बलोद और गुंडरदेही ब्लाक के एक एक गांव से 10-10 महिलाओं का चयन किया गया है।’ कम्युनिटी पुलिस फंड के माध्यम से एसपीओ महिलाओं को गस्त के लिए लाठी, वर्दी के रुप में लाल साड़ी, लाल टोपी, सीटी और टार्च दी गई है। आने वाले तीन महिने के दौरान एसपीओ के कार्यों का मूल्यांकन किया जाएगा और बाद में इनकी सेवाओं का विस्तार किया जाएगा। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आने वाले समय में जिले में 10 हजार महिला कमांडो को एसपीओ के रुप में चयन करने के लिए राज्य शासन को 40 लाख रुपए का प्रस्ताव भेजा गया है। हुसैन ने कहा महिला कमांडो के कारण जिले में कुछ हद तक शराब के अवैध कारोबार पर लगाम लगा है साथ ही अन्य अपराधों में भी कमी आई है।
पद्म विभूषण तीजन बाई (Biography)- Success Story by Teejan bai ji
Folk Singer Teejan Bai
13 साल की उम्र में उसने अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन 10 रुपये में एक पड़ोसी गाँव चंद्रखुरी (दुर्ग) में दिया एक महिला के लिए पहली बार ‘पंडवानी’ के कपालिक शिलि (शैली) में गाते हुए जैसा कि पारंपरिक रूप से महिलाएँ गाती थीं। वेदमती में- बैठी हुई शैली। परंपरा के विपरीत तीजन बाई ने अपनी विशिष्ट कण्ठस्थ स्वर और अचूक वाणी में ज़ोर से गायन का प्रदर्शन किया जो उस समय तक दर्ज था जो एक नर गढ़ था। थोड़े समय के भीतर उसे आस-पास के गाँवों में जाना जाने लगा और विशेष अवसरों और त्योहारों पर प्रदर्शन के लिए निमंत्रण मिलता था।
Teejan Bai was born in Ganiyari village 14 kilometres (8.7 mi) north of Bhilai to Chunuk Lal Pardhi and his wife Sukhwati. She belongs to the Pardhi Scheduled Tribe of Chhattisgarh state. The eldest among her five siblings she heard her maternal grandfather Brijlal Pradhi recite the Mahabharata written by Chhattisgarhi writer Sabal Singh Chauhan in Chhattisgarhi Hindi and instantly took a liking to it. She soon memorised much of it and later trained informally under Umed Singh Deshmukh. Awarded by – Sangeet Natak Akademi Award in 1995 Padma Shri- 1988 Padma Bhushan- 2003 Padma Vibhushan- 2019 Genius Book of World Record
तीजन बाई की बायोपिक का आइडिया ऐसे समय में सामने आया है जब उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। जिसमें से एक है 2018 में उन्हें दिया गया द फुकुओका प्राइज। इस फिल्म की मेकिंग में आलिया सिद्दीकी और मंजू गढ़वाल की मदद कर रहे नवाजुद्दीन कहते हैं- तीजन बाई अपने आप में एक किवदंती हैं। मुझे आलिया पर? पूरा यकीन है कि वे इस फिल्म को महज फिल्म फेस्टिवल के लिए नहीं, बल्कि आज के आम? दर्शकों को ध्यान में रखकर इसे बेहद प्रासंगिकता के साथ बनाएंगी।
लोक गायन कला पंडवानी में थी महारत
तीजन बाई को लोक गायन की मशहूर कला पंडवानी में महारत हासिल है। पंडवानी छत्तीसगढ़ में सुनाई जाने वाली महाभारत से जुड़े किस्सों से संबंधित गायन विधा है। तीजन बाई की इसी कला ने आलिया सिद्दीकी को बेहद प्रभावित किया। उन्हें लगा कि एक बायोपिक उनकी जिंदगी के साथ न्याय कर पाएगी। इसलिए स्क्रिप्ट लिखने का जिम्मा भी आलिया ने खुद ही उठाया। आलिया चाहती हैं कि फिल्म के तमाम गाने एक ऐसे कद्दावर शख़्स ने लिखे जिसे कलम का जादूगर माना जाता है। आलिया की दिली ख़्वाहिश है कि गुलजार साहब तीजन बाई पर बन रही फिल्म के गाने लिखकर उनकी जिदगी को अपने लिखे शब्दों से हमेशा के लिए अमर कर दें।
छत्तीसगढ़ के गनियारी गांव में 1956 में जन्मीं तीजन बाई के पिता का नाम चुनुक लाल पारधी और मां का नाम सुखवती था। छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति पारधी समाज से ताल्लुक रखने वाली तीजन बाई को 1988 में पद्मश्री, 1995 में श्री संगीत कला अकादमी पुरस्कार, 2003 में डॉक्टरेट की डिग्री, 2003 में पद्म भूषण, 2016 में एमएस सुब्बालक्ष्मी शताब्दी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
तीजन बाई की शादी 12 साल की बेहद कम उम्र में कर दी गई थी। उन्हें अपने पारधी समाज से निष्काषित भी कर दिया गया था। उनका कसूर बस इतना था कि वे एक महिला होकर पंडवानी गायिकी की विधा में बेहद रुचि रखती थीं। इस तरह से बचपन से ही उनका संघर्ष शुरू हो गया था। वे एक झोपड़ी बनाकर रहती थीं। आलिया सिद्दीकी कहती हैं कि उन्होंने कभी भी गायिकी का दामन नहीं छोड़ा और इसी गायिकी के चलते उन्हें लोकप्रियता मिली। तीजन बाई की जिंदगी के कई पहलू हैं, जिसके बारे में लिखा जा सकता है। मुझे शिद्दत से लगा कि उनकी जिंदगी पर एक फिल्म बनाई जानी चाहिए।
Pandvani Folk Singer -An Interview with Ritu Verma Pandvani
10 जून 1979 को भिलाई की श्रमिक रूआबांधा में जन्मी कु. रितु वर्मा ने अगस्त 1989 में विदेशी मंच पर अपना पहला कार्यक्रम दिया। मात्र दस वर्ष की उम्र में जापान में अपना कार्यक्रम देकर रितु ने वह गौरव हासिल किया जो बिरले कलाकारों को मिलता है। रितु छतीसगढ़ की पहली ऐसी प्रतिभा संपन्न कलाकार है जिसने इतनी छोटी उम्र में ऐसा विलक्षण प्रदर्शन दिया। घुटनों के बल बैठकर और एक हाथ में तंमूरा लेकर रितु ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कार्यक्रम दिया। कार्यक्रम में आये जापानी दर्शक गोरी चिट्टी छुई हुई सी लगने वाली इस पंडवानी विधा की गुडिय़ा के प्रदर्शन पर देर तक तालियां बजाते रहे। संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली द्वारा महोत्सव के लिए जापान प्रवास का यह सुअवसर रितु को लगा। तब से वह लगातार विदेश जा रही है। 1991 में आदिवासी लोक कला परिषद भोपाल ने उसे जर्मनी एवं इंग्लैंड भेजा। तब तक रितु की कला और निखर चुकी थी। वहां उसे खूब वाहवाही मिली।
जीवन संघर्ष की कहानी -पद्मश्री फूलबासन यादव जी (Smt. Phoolbasan Bai Yadav)
“डर मुझे भी लगता था – ग़रीबी से बेरोज़गारी से कुपोषण से नशे से लेकिन फिर मैंने अपनी बहनों को आवाज़ लगायी एक संकल्प समाज की सीरत बदलने के लिए संकल्प कुंठित मानसिकता और रूढ़िवादी परम्पराओं को उखाड़ फेकने का। आज सब कुछ सफल होता दिखता है” I यह कहानी है पद्मश्री फूलबासन बाई यादव की.. फूलबासन बाई बचपन में अपने माँ-बाप के साथ चाय के ठेले में कप धोने का काम करती ग़रीबी इतनी की जब घर में भोजन करने का समय आता तो माता-पिता कहते की आज एक ही समय का भोजन मिलेगा। कई बार तो हफ़्तों खाना नहीं मिलता था ।ग़रीबी के चलते कभी कभी तो महीनों नमक नसीब नहीं होता और एक ही कपड़े में ही महीने निकल जाते। 12 वर्ष की उम्र में फ़ूलबासन भाई की शादी एक चरवाहे से करवा दी गयी मानो कम उम्र में एक बड़ी ज़िम्मेदारी के कुए में इस मासूम बच्ची को धकेल दिया हो। कुछ साल में चार बच्चे हो गए लेकिन घर की आर्थिक स्थिति जस की तस थी अपने बच्चों को दो वक़्त का भोजन देने के लिए फूलबासन बाई दर दर अनाज माँगती लेकिन किसी एक ने नहीं सुनी । हर शाम अपने बच्चों को भूखे पेट देख फूलबासन ख़ून के आँसू रोती लेकिन इन चुनौतियों के सामने कभी समर्पण नहीं किया। Phoolbasan Bai Yadav was born in a socially backward family with meagre financial resources on 5 December 1969 at Sukuldaihan, a remote hamlet in the Rajnandgaon district of the Indian state of Chhattisgarh. She got married in childhood when she was 10 and had education only up to the seventh standard.
An Interview With Padmshri Phoolbasan Bai Yadav
पद्मश्री फूलबासन यादव जी ने अमिताभ बच्चन और KBC से जुड़े अनुभव बताये
प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते है। इन ९ दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते हैं, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है ।
नवरात्रि माँ के अलग अलग रूपों को निहारने और उत्सव मानाने का त्यौहार है। जैसे कोई शिशु अपनी माँ के गर्भ में 9 महीने रहता हे, वैसे ही हम अपने आप में परा प्रकृति में रहकर – ध्यान में मग्न होने का इन 9 दिन का महत्व है। वहाँ से फिर बाहर निकलते है तो सृजनात्मकता का प्रस्सपुरण जीवन में आने लगता है।
नवरात्रि का आखिरी दिन – विजयोत्सव
आखिरी दिन फिर विजयोत्सव मनाते हैं क्योंकि हम तीनो गुणों के परे त्रिगुणातीत अवस्था में आ जाते हैं। काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ आदि जितने भी राक्षशी प्रवृति हैं उसका हनन करके विजय का उत्सव मनाते है। रोजमर्रा की जिंदगी में जो मन फँसा रहता हे उसमें से मन को हटा करके जीवन के जो उद्देश्य व आदर्श हैं उसको निखार ने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है। एक तरह से समझ लीजिये की हम अपनी बैटरी को रिचार्ज कर लेते है।